सामाजिक मुद्दों का ताना बाना है काशी अमरनाथ — संतोष मिश्रा
सर्वाधिक सफल लेखक और तेजी से उभरे निर्देशक संंतोष मिश्रा ने भोजपुरी सिनेमा में बदलाव की बहती बयार को एक नयी गति प्रदान की है। “पटना से पाकिस्तान तक” में जहां भोजपुरी फिल्मों को एक तीक्ष्ण धार से परिचित कराया, वहीं ” बम बम बोल रहा है काशी” से इस फिल्मोद्योग का कैनवास बड़ा किया। वही संंतोष मिश्रा “काशी अमरनाथ” को लेकर फिर चर्चा में हैं।
◆ किस प्रकार की फिल्म है “काशी अमरनाथ” ?
★ यह एक एक्शन थ्रिलर फिल्म है, जो कई सामाजिक संदेश भी देती है।
◆ किन किन बातों को मुुुद्दा बनाया गया है ?
★ भू माफिया, गुटखा माफिया के खिलाफ जंग है। स्वच्छता अभियान के समर्थन में जन जागृति फैैैलाने की कोशिश की गई है। गुटखा कितना खतरनाक, जानलेवा है, इस पर चर्चा है।
◆ भू माफिया के साथ गुटखा माफिया का क्या कनेक्शन है ? फिर इनके बीच ये स्वच्छता अभियान कहाँ से आ जाता है ?
★ मूल रूप में यह कहानी एक भू खंड को लेकर ही शुरू होती है। काशी ( दिनेश लाल) उस पर अस्पताल बनाना चाहता है। लेकिन, उसी ज़मीन पर आम्रपाली दुबे की नजर है । आम्रपाली से उनके भाई अमरनाथ (रवि किशन) बहुत प्यार करते हैं । अब बात भूमि के सही गलत इस्तेमाल पर आकर टिक जाती है।
◆ और ये स्वच्छता अभियान ?
★ ये सरकारी अभियान नहीं है। इसमें हमने बताया है कि गुटखा खाकर लोग अपना जीवन तो संकट में डालते ही हैं, जहां होते हैं, वहां का वातावरण दूषित कर देते हैं।
◆ दोनों सितारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
★ दोनों के लिए मैं घरेलू हूँँ। रविजी ने मुझे जबरदस्ती डायरेक्टर बनाया। ” कईसन पियवा के चरित्तर बा ” में उनके कहने पर ही मैंने निर्देशन की कमान संभाली। और दिनेशजी का तो पसंदीदा लेेेखक मैं ही था। मेरी दोनों सुुुपर हिट फिल्मों ( पटना से पाकिस्तान और बम बम बोल रहा है काशी) के हीरो वही तो थे।
◆ दिनेशलाल के साथ आम्रपाली तो रवि किशन के संग एक नयी लड़की क्यों ?
★ ये इस कंपनी की पॉलिसी है कि हर फिल्म से कोई ना कोई लांच हो । चाहे वो एक्ट्रेस या एक्टर । ‘बम बम….’ में भी एक नई लड़की अंतरा बनर्जी को अवसर दिया गया था।
◆ और कुछ अच्छी बातें जो इस फिल्म में है ?
★ झारखंड का छाऊ नृत्य है। आठ सुंदर गाने हैं मगर, आईटम नंबर नहीं है। पर, फिल्म आपको हिलने नहीं देगी। दीपावली मेें ये सारी चीजें देखने को मिल जायेेंगी।
◆ “काशी अमरनाथ” के बाद ?
★ दिनेश जी के साथ ‘” बोर्डर'” ।